राष्‍ट्रीय

सरकार के न्योते को क्यों ठुकरा रहे किसान नेता

सत्य खबर/नई दिल्ली:

आंदोलनकारी किसान 10 दिन से ज्यादा समय से दिल्ली-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, अपने ‘दिल्ली मार्च’ को 2 दिन के लिए रोकने के बाद वे (किसान नेता) आगे की रणनीति पर शाम 7 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. दरअसल, 21 फरवरी को हुई हिंसक घटना के बाद किसान नेताओं ने अपना दिल्ली मार्च दो दिन के लिए रोक दिया था.

21 फरवरी को खनौरी और शंभू बॉर्डर के पास पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प में भारी हिंसा हुई थी. इसमें पुलिसकर्मियों के साथ-साथ किसान भी घायल हो गए. इस दौरान खनौरी में पुलिस की गोली लगने से 21 वर्षीय प्रदर्शनकारी किसान शुभकरण की मौत हो गई. कई लोगों ने आंदोलन को दबाने की कोशिश भी की.

दिल्ली मार्च क्यों रोका गया?

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इस किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंधेर ने अन्य किसान नेताओं से बात की. उन्होंने निर्णय लिया कि सबसे पहले शुभकरण सिंह को न्याय मिलना चाहिए। इसके लिए ‘दिल्ली मार्च’ के फैसले को 2 दिन के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया. इसके पीछे उनके दो मकसद थे, पहला विरोध प्रदर्शन को शांतिपूर्ण रास्ते पर वापस लाना और हिंसा के पीछे के कारणों का पता लगाना.

दिल्ली मार्च रोकने से रणनीति और आंदोलन पर क्या असर पड़ा?

21 तारीख को हुई हिंसा के बाद पिछले 2 दिनों से किसान दोनों बॉर्डर पर डटे हुए हैं, हालांकि 21 फरवरी को दिल्ली कूच करने के लिए उमड़ी भीड़ वापस जरूर चली गई है, लेकिन ट्रैक्टर ट्रॉली और की संख्या में कोई बदलाव नहीं हुआ है. शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान। के बराबर है।

पंजाब सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान

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पंजाब सरकार ने शुभकरण सिंह के परिवार को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा और उनकी बहन को नौकरी देने का वादा किया है. इसके बावजूद किसान हरियाणा पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने पर अड़े हुए हैं. पटियाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि फिलहाल हमारी पहली प्राथमिकता 21 साल के शुभकरण को न्याय दिलाना है. दिल्ली मार्च का क्या होगा, इस सवाल का जवाब देते हुए सरवन सिंह पंधेर ने पटियाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि रणनीति बनाई जा रही है और आज शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया जाएगा.

 

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